चुनावी वायदे झूठ का पुलिंदा
प्रदेश में विधानसभा चुनावो का बिगुल बज चूका है.सभी लगभग सभी राजनैतिक पार्टिया लोक लुभावन वायदों के साथ जनता के बीच दस्तक दे रही है. हर दल अपने वायदे में इस प्रदेश के विकास की बात कर रहा है, कोई छात्रों को लैपटॉप देने की बात कर रहा है तो कोई मुलिमो को ९ प्रतिशत का आरक्षण देने की बात कर रहा है. तो कोई प्रदेश में सुशासन स्थापित करने की बात कर रहा है.इन्ही वायदों के क्रम में कांग्रेस भी जल्दी ही अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी करेगी. अब देखना है की ये कौन कौन से लालीपाप इस प्रदेश की जनता को देते है. पर प्रश्न यह है की क्या चुनावो के बाद ये वायदे अपना रंग दिखा पायेंगे क्योकि अगर राजनैतिक दलों की जुबानी ही माना जाये तो पिछले चार सालो तक प्रदेश की सत्ता पर राज करने वाली बसपा पार्टी ने इस प्रदेश को खाली कर दिया है. अगर सपा नेताओ के बयानों की ही बात की जाये तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक ने विगत चार वर्षो में एक बार नहीं बल्कि कई बार यह कहा है की मायावती शासन ने प्रदेश को लूट लिया है उत्तर प्रदेश शासन का खाजना पूरी तरह खाली चूका है इत्यादि. अब सवाल यह उठता है की सत्ता में आने के बाद मुलायम सिंह यादव प्रदेश की जनता से किया वायदा कैसे पूरा करेंगे. सनद रहे सपा अपने चुनावी घोषणा पत्र में स्पष्ट किया है की वो सता में आने के बाद हाई स्कूल पास छात्रों को टैबलेट आकाश और इंटर पास बच्चो को लैपटाप मुफ्त में बाटेंगे इसी तरह वो प्रत्येक बेरोजगार युबक को १२ हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे. लेकिन माया शसन दवार खाली किये गए खजाने के बाद सपा किस तरह अपने चुनावी वायदों को पूरा करेगी इस पर न तो सपा प्रमुख कुछ बोल रहे है और न ही सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव. और सिर्फ सपा ही क्यों भाजपा ने भी पिछले चार सालो तक प्रदेश की माया सरकार द्वारा सरकारी खजाने को लूटने की बात दोहराई. भाजपा ने तो बाकायदा भ्रष्टाचार उजागर समिति बना दी और समिति के अध्यक्ष किरीट सौमिय्या अभी पिछले दिनों तक माया शासन के भ्रष्टाचार का खुलासा करते रहे है. भाजपा ने भी अपने चुनावी वायदे में वायदा किया है की सत्ता में आने के बाद वो इंटर तक के बच्चो को लैपटाप मुफ्त में देगी.लेकिन इन लैपटापो के लिए बजट पार्टी कहा से लायेगी इसका जिक्र भाजपा ने भी नहीं किया. कहने का सार ये है की ये राजनितिक दल जो इतने बड़े बड़े चुनावी वायदे कर रहे है उनके इन वायदों का आधार क्या है?इसके विषय में बोलने को कोई भी दल तैयार नहीं है.वास्तव में देखा जाये तो सभी दलों का ये चनावी वायदा मात्र झूठ पुलिंदा है जिसका वास्तविकता से कोई मतलब नहीं है.हर दल मात्र सियासी रोटियों को सेकने में लगा हुआ है जिसका उदहारण विगत कुछ वर्षो के विधान सभा चुनाव और उसकी बाद प्रदेश में सतासीन हुई सरकारों के कार्यकलापो से स्पष्ट हो जाता है. वर्ष २००७ के विधानसभा चुनावो के बाद बसपा ने मायावती के नेत्रत्व में प्रदेश की बागडोर संभाली सबको लगा की अब प्रदेश विकास करेगा पर नतीजा क्या निकला. क्या विकास हुआ नहीं. हुई तो सिर्फ लूट. इसी तरह २००३ में माया शासन हटने के बाद सपा ने मुलायम सिंह के नेत्रत्व में प्रदेश की बागडोर संभाली लेकिन क्या विकास हो पाया नहीं. मतलब साफ की ये जितने भी वायदे इनका अस्तित्व तभी तक है जब तक चुनाव है एक बार चुनाव ख़त्म तो चुनावी वायदे भी ख़त्म.
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